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2 Feb 2022 · 9 min read

फिल्म - कब तक चुप रहूंगी

पेज =12
फिल्म – कब तक चुप रहूंगी। स्क्रिप्ट – रौशन राय का
मोबाइल नंबर – 9515651283/7859042461
तारीक – 17 – 01 – 2022

एक दिन डोंगरा साहब ने विशाल से कहा बेटे तुम अपने मां बाप से मुझे बात करवाओ हम उन्हें मनाने की कोशिश करते हैं।

तो विशाल ने फोन नंबर देते हुए कहा कि पापा हमारे मां और पिता जी हमसे नाराज़ हैं

डोंगरा साहब – क्यों नाराज़ हैं कुछ तो कारन होगा

विशाल – हां पापा कारन यही था कि हम कोई काम नहीं कर रहे थे पर काम करने का प्रयास पुरा कर रहा था

डोंगरा साहब – ठीक है मुझे उनसे बात करने दों की बात क्या है

डोंगरा साहब अपने मोबाइल से उनके पापा का नंबर डायल किया उधर वेल बजी और फोन विशाल के पापा ने उठाया

विशाल का पापा अंजान नंबर देखा और बोले

हेल्लो आप कौन बोल रहे हैं

डोंगरा साहब – मैं जगदीश डोंगरा बोल रहा हूं

विशाल के पापा – हां कहिए क्या बात है या किसी और से बात करना है

डोंगरा साहब – मुझे विशाल के पापा विष्मवर नाथ जी से बात करना है

विशाल का पापा – हां मैं विशम्वर नाथ ही बोल रहा हूं पर ये विशाल कौन है

डोंगरा साहब – फोन को कान से हटाया और विशाल से पुछा वो तुम्हें नहीं जानता

विशाल – आप रोहित कहिए

डोंगरा साहब – अच्छा क्षमा चाहता हूं आप रोहित के पिता जी हैं न

रोहित के पिता जी हां मैं रोहित के पिता जी ही हूं पर ये मेरा दुर्भाग्य है लेकिन आप कौन हैं और क्यों मुझसे बात करना चाहते हैं आप

डोंगरा साहब – यदि आप गुस्सा नहीं करेंगे तो मैं कहूंगा ।
नहीं तो फिर नहीं

जगदीश डोंगरा और विशम्वर नाथ एक दूसरे से प्रभावित हो रहें थे बातों से।

फिर भी डोंगरा साहब कन्या पक्ष से हैं इसलिए वो अपने आप को ध्यान रखकर पुरे इज्जत देकर विष्मवर नाथ से बात कर रहे थे और विशम्वर नाथ भी डोंगरा साहब के बातों को ध्यान रखते हुए इज्जत के साथ बात कर रहे थे

विशम्वर नाथ – देखिए आप साफ साफ कहिए कि क्या बात है

जगदीश डोंगरा – देखिए आपका बेटा हमारे बेटी के साथ विवाह कर लिया है ये तो आपको पता हो ही गया होगा

विशम्वर नाथ – देखिए हमें कुछ पता नहीं है और ना कोई मुझे कुछ बताया है

जगदीश डोंगरा – विशाल मेरा कहने का मतलब रोहित का दोस्त जुवेर आपको फोन तो किया है शायद आप भुल रहें हैं ।

विशम्वर नाथ – देखिए हमें कोई फोन नहीं आया

जगदीश डोंगरा – अच्छा मैं आपको बता रहा हूं कि आपका बेटा ने मेरी बेटी से कोर्ट मैरिज कर लिया है। आप दोनों को अपने आशिर्वाद नहीं देंगे

विशम्वर नाथ – देखिए मैं आपके बेटी को आशीर्वाद तों दें सकता हूं पर रोहित/विशाल को नहीं आप कहां से बोल रहे हैं हमें पता देजिए तों मैं पुलिस को भेज दूं

जगदीश डोंगरा – आप तो विशाल से बहुत नाराज लग रहें हैं

विशम्वर नाथ – आप भी हों जाएंगे कुछ ही दिनों में और फोन को काट दिया

जगदीश डोंगरा साहब के मन में अब हजार सवाल उठने लगा कि जो बात अपने इकलौते बेटे को पुलिस के हवाले कर सकता है तो कुछ न कुछ बात तों जरुर गड़बड़ है इसका पता लगा बहुत जरूरी है

जगदीश डोंगरा- विशाल बेटा तुम्हारे पिता जी तों तुम से बहुत नाराज़ हैं ऐसे क्या गलती क्या है तुमने

विशाल – कुछ नहीं पापा बस युही की हमें कोई काम में कामयाबी हासिल नहीं हुआ

जगदीश डोंगरा – सर हिलाया और लंम्बी सांसें छोड़े और मन में बोले बेटा कुछ तो जरूर गड़बड़ कि हैं या कर रहा है

कुछ देर बाद विशाल के मोबाइल पर जुवेर का फोन आया कि अरे यार हर जगह से फोन आ रहा कि पैसे एडवांस जो मैं भेजा हूं उसके बदले अभी तक लड़कियां नहीं पहुंची है जल्दी करो वर्ना हम पुलिस को खबर कर देंगे

अब तो विशाल का दिमाग नाचने लगा कि इधर हमारे सच्चाई का भंडा न फुट जाएं

विशाल ने राधा और अपने ससुर को कहा कि हमें पंद्रह बीस दिन के लिए शहर जाना होगा क्योंकि बहुत जरूरी काम आ गया है

बाप बेटी ने पुछा क्या काम आ गया है कि तुम्हें इतना जल्दी जाना पर रहा है

विशाल – हम आके बताएंगे पहले से ही मैं काम के तलाश में था आज काम आया पर उसने ये नहीं बताया कि हमें क्या करना होगा सो हम अभी निकलेंगे

दोनों बाप बेटी सोच में पर गये और विशाल के जाने की तैयारी में लग गए

विशाल का चेहरा डरा हुआ और उदास भी लग रहा था

राधा कितने बार पुछी की क्या बात है बताओ पर विशाल कुछ नहीं बताया और निकल गया और राधा देखती रह गई

घर से निकल कर जब वो कुछ दुर गया तों अपने मोबाइल से अपने घर बीबी ससुर सबका फोटो डिलीट कर दिया

और सिधा जुवेर के पास पहुंचा

विशाल – क्या बात है जुवेर

जुवेर – तुम अपने बीवी के साथ ऐस कर रहे हो और उधर से सारे लोग मुझे परेशान कर रहा हैं लड़कियां के लिए जिसे मैं तुम्हारे लिए एडवांस मंगाया वो सब लड़कियों के लिए परेशान कर रखा है।

और पुलिस चारों तरफ हम दोनों को बती लेकर ढुंढ रहा है जवान लड़कीयां घर से निकलना बंद कर दी है
हमने बहुत कोशिश की पर एक भी लड़की हाथ नहीं लगी

अब क्या करें कुछ समझ में नहीं आ रहा है

विशाल – अच्छा ये बताओ कि एडवांस कितना आया है

जुवेर – चालीस लाख

विशाल – किस किसका

जुवेर ने सबका नाम बताया

विशाल – ने सबको फोन लगाया और बोला सेठ अपना एडवांस वापस लेलों

सेठ – ओय तुझे एडवांस हमने लड़की के लिए दिया था वापस लेने के लिए नहीं

वर्ना तु जानता है कि मैं क्या कर सकता हूं दो चार को फोन लगाया सबने धमकी से ही बात कि और कहा पैसे वापस नहीं लेंगे हमें लड़की ही चाहिए चाहे अपनी बहन दे या बीवी
सुनने में आया है तुम शादी कर लिया एकबार हमें भी अपने बीवी का रसपान करा दें अरे जो कहेगा वो दे दूंगा

सुनने में आयो हैं थाड़े बीवी बड़ा चोखो माल छै

आज लग रहा था विशाल को की वाकई वो बुड़े काम के दलदल में फस चुका है।

जों बीवी उसके लिए अपने बाप और सारे ऐसोआराम को छोड़कर उन्हें अपनाया आज खुद उनके करनी के कारण गाली सुनकर रही है।

सारे लोग विशाल को कहा हमें किसी भी कीमत में लड़की चाहिए वर्ना तुझे जेल का हवा नहीं अव फांसी ही दिलवाऊंगा

राधा के पिता जी को ये विश्वास हो गया था कि ये आदमी ठीक नहीं है पर अपने इकलौती बेटी के कारण उन्हें अपनाना पड़ा ।

उधर राॅकी राधा से बदला लेने के फिराक में था वो पता लगाते लगाते एक दिन राधा को बाजार जातें घेर लिया और बदतमीजी करने लगा तो साथ में कृष्णा था तो बचा लिया

राधा का मन विशाल के बीना नहीं लग रहा था तो वो अचानक विशाल के मोबाइल नंबर को अपने मोबाइल से मैप से देखा कि वो इस समय कहा तो उसने देखा कि वो उसी खंडहर के आस पास का लूकेशन दे रहा था वो तो चौंक गई पर ये बात किसी से न बोली ये सोचकर की हो न हो ये सिम उधर का ही हो

विशाल को वो लोग मजबूर कर रहा था कि उन्हें लड़की चाहिए और विशाल के पास लड़की था नहीं तो उसने अपने बीवी राधा को ही दाऊ पर लगाने के लिए सोच लिया तों उसने राधा को कहा तुम मेरे पास आ जाओ कुछ दिन मेरे पास रहकर ये शहर घुम लेना फिर चले जाना

राधा का मन खुश हो गया और जाने के लिए सोचकर तैयार हो गई और अपने पापा से बोली

राधा – पापा विशाल ने मुझे फोन पर कहा अपने पास आने के लिए और मैं जाना भी चाहती हूं।

जगदीश डोंगरा – देख बेटी मुझे तो ये ठीक नहीं लग रहा है

राधा – क्यों पापा

डोंगरा साहब – इसलिए की विशाल अचानक गया और वो अचानक तुम्हें बुला रहा है मुझे तो इसमें कुछ न कुछ जरूर गड़बड़ है ये मेरा दिल कह रहा है

राधा – क्या पापा अभी तक आप विशाल को शक के नजर से ही देख रहें हैं

जगदीश डोंगरा – देख बेटी तु समझने कि कोशिश नहीं कर रही है

राधा – पापा यदि कुछ गड़बड़ भी होगा तों मैं उन्हे ले आऊंगी या वो मेरे साथ कुछ गड़बड़ थोड़े ही करेगा
मैं उसका पत्नी हूं

डोंगरा साहब – देख बेटी जब मैं उनके पिता जी से बात किया तो उनके पिता जी के बातों से मुझे लगा कि विशाल ठीक आदमी नहीं है

राधा – पापा आप ये क्या कह रहे हैं मैं उनके बारे में कुछ नहीं सुनना पसंद नहीं करुंगी।

एकबार फिर राधा ने अपने पिता का अपमान किया विशाल के लिए

जगदीश डोंगरा – वेवश होकर कहा ठीक है पर तु साथ में कृष्णा को लेते जा तुम्हारे बहुत काम आएगा

राधा – ठीक है पापा

डोंगरा साहब का बहुत विश्वासी कृष्णा हो गया था डोंगरा साहब ने कृष्णा को खुब बढ़िया से समझा दिये और बोले कृष्णा तुम राधा का छाया बनकर रहना मेरी बेटी को एक पल के लिए भी अकेला नहीं छोड़ना और कृष्णा को एक टच मोबाइल खरीद कर दिए और कुछ पैसे भी बोले तुम मुझे पल पल का खबर देते रहना और तुम्हें किसी चीज की जरूरत हो तो मुझे फ़ोन करना

अब कृष्णा भी गांव का कृष्णा नहीं रह गया था उसको भी शहर का हवा ने बदल दिया था उसने डोंगरा साहब को कहा कि आप निश्चिन्त होकर रहीए मैं कुछ भी गड़बड़ नहीं होने दुंगा इतने दिन मैं आपको नहीं बताया यदि आप इतना बात कह दिये तों मैं भी आपसे एक बात कह रहा हूं

डोंगरा साहब – बोलों क्या बात कहना चाहते हों

कृष्णा – यहि कि आपका दामाद विशाल जी हकीकत में सही आदमी नहीं है ये मुझे मेरे गांव में पता चल गया था पर मैं राधा जी के वज़ह से कुछ नहीं बोला

डोंगरा साहब – क्या सही नहीं है

कृष्णा – विशाल जी शायद लड़कियों को गुमराह कर उन्हें बेच देता है

डोंगरा साहब – क्या बात करते हो कृष्णा ये तुम कैसे कह सकते हो।

कृष्णा – साहेब आपको मैं सही से समझाता हूं जब राधा मैडम जी पहली बार काॅलेज के पिकनिक पर गई थी तो हमें और राधा जी का उसी समय जान पहचान हो गया था

डोंगरा साहब – कृष्णा ये बताओ कि जान पहचान हुआ क्यों था ।

कृष्णा – साहेब मैं बांसुरी बहुत अच्छा बजा लेता हूं ऐसा राधा जी और हमारे गांव के सब लोग कहते हैं।
तो राधा जी हमारे बांसुरी कि धुन सुनने पांच बजे सुबह में हमारे पास पहुंच जाती थी
और साथ साथ हम-दोनों आते थे पहचान वहीं से शुरू हुआ जब इस बार वो हनीमून पर गए तो आने के अंतिम रात हम और हमारी मां राधा और विशाल को घर पर बुलाये और राधा विशाल जी हमारे घर पर आये तो इन दोनों को देखने गांव के लोग देखने पहुंचे । तो उसी मे से एक औरत के बेटी को विशाल जी काम दिलवाने के बात कहके लाये थे जो अब तक वो घर वापस नहीं पहुंची और न ही उसका कोई पता है

अब जगदीश डोंगरा का सांसें तेज हो गई कि अब वो क्या करे पर कृष्णा ने विश्वास दिलाया कि वो राधा का कुछ अनिष्ट नहीं होने देगा।

जगदीश डोंगरा ने कृष्णा को भगवान का कसम खिलाया और कहा यदि तुम दोनों सही सलामत लौट आओगे तों हम तुम्हें ऐसा उपहार देंगे जिसे तुम्हें पाने कि इक्क्षा होगा

कृष्णा ने एक बार फिर से राधा का आश लिए राधा के साथ शहर उनके पति के बताएं पते पर पहुंचने में लग गए

रास्ते में राधा ने कृष्णा से बातें करती जा रही थी और कह रही थी कि

राधा – कृष्णा तुम्हें शहर कैसा लगा

कृष्णा – बहुत राधा मैडम जी

राधा – कृष्णा तुम मुझे मैडम जी नहीं राधा कहा करों

कृष्णा – अरमान तो मेरा भी यही था मैडम जी

राधा समझ गई कि कृष्णा क्या कहना चाहता है

उसने बात को मोड़ते हुए बोली अच्छा कृष्णा तुम शादी कर लो तुम्हें मेरी कसम

कृष्णा – राधा मैडम जी मैं तो शादी नहीं करता पर हमें एक और उम्मीद जागा है और आपका कसम तो मैं खा नहीं सकता क्योंकि मैं आपसे वेहद प्यार करते हैं और अब दिल से आपका इज्जत भी करते हैं

राधा – अब तों मैं तुम्हारे अकेला पन से दुखी हो रही हूं और मैं तुम्हें मिल सकती नहीं क्योंकि मैं विशाल के बीना नहीं रह सकती इसलिए अगर मुझे कभी दिल से सच्चा प्यार किये हो तो मेरा बात मानो और तुम शादी कर लों हमारे खुशी के लिए

कृष्णा ठीक है जब हम लोग शहर से वापस आएंगे तो सोचेंगे कि क्या करना है

और राधा कृष्णा के साथ बस डिपो पर उतरी और विशाल को फोन किया

विशाल एक चमचमाती कार लेकर राधा को लेने पहुंच गया

कृष्णा को ये कार देखकर बड़ा आश्चर्य हुआ कि ये कार इसके पास कैसे आया।

रहने खाने का भी बढ़िया व्यवस्था पर ये हुआ कैसे

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