फौजी ( देश का असली नायक )
बहुत बड़ा कलेजा निकालती है एक मां ,
अपना सुहाग दांव पर लगाती है एक पत्नी ,
तब कहीं जाकर देश पर कुर्बान होने को ,
एक फौजी घर से निकलता है।
माता पिता का दुलार और स्नेह ,
और पत्नी का दाम्पत्य प्रेम ,
सब त्याग कर ,सबका विछोह ,
सहकर दुष्कर जीवन गुजारता है एक फौजी ।
फौजी बनना कहां आसान है ,
यह एक कठिन परीक्षा है ,
कोई अपने प्यारे बच्चों ,और कोई ,
नवजात शिशु का मुंह देखे बैगैर,
सारा मोह त्याग कर रण क्षेत्र में जाता है फौजी ।
यह नहीं मालूम कितनी सांसे बची है ,
जीवन का कोई भरोसा नहीं है ,
और यह भी निश्चित नही दुबारा भेंट होगी के नही ,
फिर भी देशप्रेम में देश की रक्षा को ,
प्राण दांव पर लगाता है एक फौजी ।
फौजी बनना हर एक के बस की नही बात ,
हर समय चौकन्ना रहना पड़ता है दिन रात ।
अटूट देश भक्ति खुद अपने आप में है एक तप ,
उस तप में अपना सर्वस्व होम करता है एक फौजी ।