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22 Jan 2022 · 1 min read

पंडित मदनमोहन मालवीय जी

स्वतंत्रता सेनानी , समाजसेवी,
शिक्षक व समाज सुधारक पंडित मदनमोहन मालवीय जी के जीवन पर प्रस्तुत है।

दोहा एकादश

साल अठारह साठ इक, और दिसंबर मास।
बीस पांच को था मिला,उनको जगत प्रवास।।(१)
मूनादेवी मातु थी,पिता नाम ब्रजनाथ।
दिव्य जीवनी है सकल,दिया दुखी का साथ।(२)
मालवीय के नाम से,जग करता है याद।
दीन दुखी से ही रहा,उनका नित संवाद।।(३)
भोर भजन करते सदा, रखते शुद्ध विचार।
नियमित संध्योपासना, था उनका आचार।।(४)
सत्य कर्म सत्धर्म का,पालन करते रोज।
ब्रह्म चर्य पालन किया,सादा करते
भोज।।(५)
कलकत्ता जाकर पढे, बने वहां पर शिष्य।
डिग्री बी ए पायकर,देखा नया भविष्य।।(६)
संस्कृत हिंदी में दिये, बड़े बड़े व्याख्यान।
अंग्रेजी में भी मिला, उन्हें वही सम्मान।।(७)
हिंदी को दिलवा दिया, सरकारी सम्मान।
अदालती भाषा बनी, जारी कर फरमान।।(८)
चार बार अध्यक्ष थे,कांगरेस के आप।
आजादी का मंत्र दे,फूंक दिया आलाप।।(९)
शिक्षा हो सबको सुगम, किया अनुपम प्रयास।
विश्व हिन्दू युनिवर्सिटी,दिया विश्व को खास।।(१०)
करता उनको है नमन, हिंदुस्तां भी आज।
अर्पण जीवन कर दिया, निर्मित किया समाज।।(११)
?
अटल मुरादाबादी
ओज व व्यंग कवि
९६५०२९११०८
नोएडा, उत्तर प्रदेश

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