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17 Jan 2022 · 1 min read

शीत

शीत यौवन की डग चला है
सर्द हवा का प्रलोभन बढ़ा है

इधर उधर वृद्ध जनों को चूमे
कैद कर घर में अपनों को भूले

हीटर , अलाव की याद दिलाती
सर्दी दूर कर गर्मी को है जगाती

हर कोई रजाई की शरण में है
सर्द कम हो बस यही रटन है

सूर्यदेव हो गये है अब नदारद
भास हमारा रहा नहीं शायद

एक झलक पाने को ताके नभ
पर न दिखाई न दे सूर्य देव अब

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