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17 Jan 2022 · 9 min read

फिल्म - कब तक चुप रहूंगी

पेज =10
फिल्म – कब तक चुप रहूंगी। स्क्रिप्ट – रौशन राय का
मोबाइल नंबर – 9515651283/7859042461
तारीक – 08 – 01 – 2022

राधा ने तुरंत अपने पापा का दवाई देखी और ड्राइवर से पूछा पापा दवाई नही खाते थे क्या

तो ड्राइवर ने कहा राधा जी साहब कह रहे थे कि हमें दवा दिखाने वाली मेरी बेटी मुझे छोड़ कर चली गई तो मैं अपने से दवा नही खा सकता और साहब का दर्द बढ़तें गया

राधा तो आप मुझे काॅल क्यों नहीं किया

ड्राइवर ने कहा कि साहब बोले कि तुम उसे काॅल मत करना
जब मुझे लगा कि साहब का जान अब खतरे में है तो मैं साहब का मोबाइल चोरी से लेकर आपको काॅल कर दिया

राधा – ड्राइवर साहब थोड़ा पानी लाइए

ड्राइवर बीना देर किए पानी लेकर आया

राधा बारी बारी से सब दवाई अपने पापा को खिला दी और दस मिनट के बाद जब डोंगरा साहब का दर्द कम हुआ और स्थिति नाॅरमल हुआ तों वो राधा से लिपट कर छोटे बच्चों कि तरह रोने लगे

राधा ने उन्हें शांत किया और अब मैं मैं आपके पास ही रहूंगी ।

ये बात सुनकर डोंगरा साहब बोले मेरा दामाद जी कहा है ये बात सुनकर राधा को बहुत खुशी हुआ जब वो पलटी तो विशाल को देखा ही नहीं

तो राधा ने ड्राइवर को पुछा विशाल कहा है तो वो बोला कि वो बाहर ही खड़े हैं।

राधा क्यों

डोंगरा साहब – मैं समझ गया बेटी चल मुझे अपने दामाद जी के पास लेकर चल

ड्राइवर और राधा ने अपने कंधे का सहारा देकर डोंगरा साहब को गेट तक लेकर आया तो देखा कि विशाल दुसरे तरह मुंह करके खड़ा हैं

डोंगरा साहब ने आवाज दिया बेटे विशाल पलटकर देखा तो ड्राइवर और राधा के सहारे अपने बांह को फैलायें उन्हें डोंगरा साहब पुकार रहें थे

डोंगरा साहब – आओ बेटा अपने पापा को माफ कर दो

विशाल दौड़कर आया उन्हें पैर छुकर प्रणाम किया और कहा पापा हम आपके बीना कैसे खुश रहते

डोंगरा साहब – आओ चलों बैठ कर बात करते हैं

सब लोग हाॅल से बैठे और विशाल ने डोंगरा साहब के तबियत के बारे में पूछा

डोंगरा साहब – मैं अब ठीक हूं

गिनते गिनते दिन दो महीना गुजर गया राॅकी के पिता जी भी अब बड़े पैसे वाला बन गया था इसलिए वो अपने बेटे राॅकी को जेल से छुड़वा लिया

राॅकी का पढ़ाई खत्म हुआ था आवारा पन नहीं अब वो अइयांशी में जुड़ गया था लड़कियों को बुला कर अपने घर पर दारु पीकर पुरे पुरे रात लड़ियों के साथ सेक्स करना राॅकी का आदत सा बन गया था । अपने आवारा दोस्तों के साथ बार में हुक्का चरस पीना और लड़कियों से साथ रोमांस करना उनका दिनचर्या बन गया था और हमेशा राधा के बारे में पता लगाते रहता पर उन्हें अभी तक कुछ पता नहीं लगा था

कृष्णा अपने बीते यादों में जी रहा था मजदुरी करना उनका मजबुरी था क्योंकि अब उसकी मां बुढ़ी हो चुकी थी लेकिन वो शादी नहीं किया शायद उन्हें अब भी उन्हें राधा के लौट आने का इंतजार था ये तो वक्त ही बताएगा कि वो अपने गर्भ में क्या छुपा के रखा है कृष्णा अपने दर्द को बांसुरी के स्वर में निकाल कर अपने मन को हल्का कर लेता था

डोंगरा साहब ने अब विशाल के बारे में कुछ जानने के इच्छुक नहीं थे क्योंकि जब उनकी इकलौती बेटी ही कबुल कर चुकी थी । तो वो सोचे कि अब बच्चों को खुश रखने में ही मेरा खुशी हैं जब वो पूरी तरह ठीक हो गये और अपने आप को बहुत पसंद मुद्रा में पा रहे थे तो उन्होंने सोचा कि मेरी बेटी शादी तो कर ली पर उन्हें शादी का सुख नहीं मिला इसलिए वो राधा और विशाल को हनीमून पर भेजने के लिए तैयार हो गए और वो बोले

डोंगरा साहब – मेरे बच्चों अगर तुम दोनों अपने पापा से नाराज़ नहीं हो अपने पापा की बात मानोगे।

विशाल – कैसे बात करते हैं पापा आप क्या कोई बच्चा अपने मां बाप से नाराज़ कैसे हो सकता है आपने ने जो किया वो सत्य नहीं परम सत्य है

हम आपसे माफी मांगते हैं की पापा हमारे जोड़ी तो शायद उपर वाला ने ही बनाया है इसलिए ऐसा हुआ

डोंगरा साहब – अच्छा ठीक है तुम दोनों ने शादी का सुख प्राप्त नहीं किया इसलिए मैं तुम दोनों को हनीमून पर भेजना चाहता हूं बताओं कहा जाओगे

विशाल – राधा के ओर देखने लगा

राधा – मैं कहीं नहीं जाउंगी आपको छोड़कर

डोंगरा साहब – नहीं बेटी तुम दोनों हो आओ हम एकदम फिट और स्वस्थ हैं

राधा – नही नही पापा हमें नही जाना अब हम आपको अपने से दूर नहीं रखेंगे क्यों की हमारे जातें ही आपका तबियत बिगड़ जाता है

डोंगरा साहब – मैं कह रहा हूं न कि मैं एकदम ठीक हूं रही बात हमारे देखभाल का तों हमने इसके लिए एक लड़का को रख लिया है ड्राइवर उस लड़के को बुलाओ

ड्राइवर – उस लड़के को बुला लाया

राधा – नाम क्या हैं आपका

लड़के – कृष्णा

कृष्णा सुनते ही राधा को रामपुर वाला कृष्णा याद आ गया और उसका वो बांसुरी कि मिठी धुन

कुछ पल के लिए वो सोच में डूब गई और फिर कृष्णा से पुछी की आप हमारे पापा का ध्यान सही से रख लेंगे और समय पर सब दवाई दे देंगे

लड़के ने कहा – हां मैडम जी हम सर का ध्यान सही से रख लेंगे।

राधा – गुड। और अपने पापा से हां पापा आप हमें कुछ कह रहे थे

डोगंरा साहब – बेटी मैं ये कह रहा था कि तुम दोनों कहीं से कुछ दिन घुम आओ बोलो कहां जाना चाहती हों

राधा – यदि आप कहते हैं तो मैं रामपुर जाना चाहूंगी बाकी विशाल की इक्क्षा पर निर्भर है

विशाल – नहीं नहीं आप जाना जाहती हों जाओ।

डोंगरा साहब – क्या मतलब तुम नहीं जाओगे

विशाल – मैं तों आपके नौकर के लायक नहीं हूं लेकिन

डोंगरा साहब – लेकिन क्या लगता है तुम ने मुझे माप नहीं कै

राधा – आप ऐसे क्यों बात करते हैं

विशाल – हकीकत से मूंह नहीं चुराया जा सकता है

डोंगरा साहब – बेटा अब हकीकत ये है कि तुम मेरा दामाद हो। और मैं तुम्हारा ससुर इस नाते मैं तुम्हारे पिता समान हूं
हूं कि नहीं

विशाल – जी हां पिता समान नहीं आप मेरे पिता जी हैं

डोंगरा साहब – तो अपने पिता का बात मानो और जैसा मैं कहता हूं वैसा करो।

राधा – हां आप पापा का बात मान लोन

विशाल – ठीक है जैसा आप लोगों का इक्क्षा

डोंगरा साहब – तो राधा बेटी कहा जाना पसंद करोगी

राधा – पापा आप अपने दामाद से पुछ लिजिए वो जहां कहेंगे मैं वहीं जाउंगी

डोंगरा साहब – बोलों बेटा कहां जाना है

विशाल – पापा राधा जहां की नाम ली थी वहीं रामपुर

डोंगरा साहब – ठीक है बेटा तुम लोग तैयारी करों जाने की
कल का ही टिकट मैं बनवा देता हूं।

डोंगरा साहब ने एक आदमी को फोन किया कि भाई हमारे लिए दो प्लेन का टिकट बुक कर दों कल का ही

उधर से आवाज आया ठीक है सर जिनके नाम से बुक करवाएंगे उनका नाम बता दिजिए

डोंगरा साहब – राधा और विशाल

के नाम से

उधर से सर उनका नाम पता और आधार कार्ड पेन कार्ड है इसी नंबर पर भेज दिजिए और कहां के लिए

डोंगरा साहब नाम पता इधर से हमारा ही होगा और पेन कार्ड और आधार कार्ड मैं अभी भेज देता हूं
राधा का आधार कार्ड तों डोंगरा साहब के मोबाइल में ही था और विशाल से आधार कार्ड डोंगरा साहब ने मांगें

डोंगरा साहब – बेटा अपना आधार कार्ड देना

विशाल – पापा मेरे पास तो आधार कार्ड नहीं है

डोंगरा साहब – आधार कार्ड नहीं है तों तुम दोनों का कोर्ट मैरिज कैसे हुआ ।
कोई प्रुफ तो दिया ही होगा न

इसी बीच राधा बोल पड़ी पापा क्या है न कि हम वकिल को पैसा दिये……

डोंगरा साहब – तुम पैसा दिया और वकिल ने काम करवा दिया

राधा – हां पापा

डोंगरा साहब – गुड वेरी गुड
तो बेटी तुम लोग प्लेन से नहीं जा सकते

राधा – तो क्या हुआ पापा हम बस से चलें जाएंगे

डोंगरा साहब – ठीक है

डोंगरा साहब ने फिर उस आदमी को फोन किया जो टिकट बनाता। अरे भाई प्लेन का नहीं बस का टिकट बना दोनों और बस में कोई प्रुफ नहीं मांगना

उधर से जवाब आया सर प्रुफ तो देना होगा इसमें एक जन के प्रुफ से काम चल जाएगा

डोंगरा साहब ने – राधा का आधार कार्ड भेज दिया और विशाल राधा के लिए टिकट बुक हो गया

राधा अपने पापा को समझा बुझाकर और कृष्णा को दवाई दिखाकर और पापा का ध्यान ठीक से रखना कहके अगले सुबह कुछ विशेष तैयारी और कुछ ज्यादा पैसा लेकर अपने पति के साथ रामपुर के लिए बस से निकल पड़ी

इस बार रामपुर के टाॅप होटल में रुकने का प्रबंध किया था

दो दिन बीता होगा कि कृष्णा का दोस्त एक सवारी लेकर वहां पर आया उस समय राधा और विशाल कहीं जाने के लिए अपने कमरे से बाहर निकली थी ।

विशाल ने कृष्णा के दोस्त को हाथ दिया और कहा भाई हमें रामपुर घुमा दो पुरे दिन के लिए मैं आपको बुक करना चाहता हूं बोलों कितना लोगें पुरे दिन का किराया

कृष्णा का दोस्त भी सोचा आज तो मेरी चांदी ही चांदी हों गया कृष्णा ने कहा साहेब पुरे दिन का दो हजार रूपया लगेगा

विशाल बोला क्या ठीक से बोलों तो कोई बात बने

कृष्णा का दोस्त – क्या साहब आप देख रहे हो कि पेट्रोल के साथ साथ सी एन जी गैस का भी रेट दिन पर दिन बढ़ते जा रहा है चलों आप सौ पचास कम दे देना

विशाल – नहीं भाई हम पंद्रह सौ रुपए देंगे बाद में किचकिच मत करना

कृष्णा का दोस्त बात मानकर हां कह दिया

और विशाल ने राधा को आवाज दिया राधा आओ ओटो बुक हो गया पुरे दिन के लिए

राधा आई और कृष्णा के दोस्त को देखा और दोस्त भी राधा को देखा और दोनों सोचने लगा कि ये चेहरा तो जाना पहचाना हैं पर कहा देखा है इनको

राधा को याद हुआ और उसको सही से देखने और राधा एक आइसक्रीम वाले के पास ओटो को रुकवाया और तिन आइस्क्रीम का आॅडर दिया और ओटो वाले को बोला अरे भाई तुम भी बाहर आके आइस्क्रीम खा लों

कृष्णा का दोस्त बाहर निकला तो राधा बोली भैया आप कृष्णा का दोस्त है न एक बार आप हमें कृष्णा के कहने पर हमें हमारे होटल में छोड़ने आये थे

कृष्णा के दोस्त कहां हां मुझे भी याद आया आप राधा मैडम हैं

राधा – हां भैया मैं राधा ही हूं

कृष्णा का दोस्त ने देखा कि राधा एकदम हिन्दुस्तानी पोकाश में हाथ में चुड़ी मांग में सिंदूर ठोर लाली से मैच करता सारी ब्लॉज एकदम परी लग रही थी

सुंदर तों विशाल भी कम नहीं था उपर से नीचे तक सचमुच वो भी बाबु साहब ही लग रहा था

फिर कृष्णा के दोस्त ने पुछा ये कौन है

राधा – ये मेरा पति है

कृष्णा का दोस्त – तो आप शादी कर लिए

राधा – हां मैं ने शादी कर ली

कृष्णा का दोस्त – हमारे ओर से आप दोनों को बहुत बहुत शुभकामना

चलिए अब रामपुर घुमते हैं

राधा – हां चलों

तीनों जन ओटो में बैठे और रामपुर घुमने निकल पड़े कृष्णा का दोस्त यही सोच रहा था कि अगर कृष्णा को पता चला कि राधा मैडम आयी है तों वो बहुत खूशी होगी और अगर जब ये पता चलेगा कि राधा शादी कर अपने पति के साथ आई है तों उनके उपर क्या बितेगा पुरे दिन रामपुर घुमकर शाम को होटल पर राधा विशाल को छोड़कर जब जाने लगा तो एक सवारी और मिल गया जिससे घर पर जाने में थोड़ा देर हो गया जिससे वो कृष्णा से नहीं मिल पाया

कल के थकावट से आज सुबह थोड़ा देर से उठा तब तक कृष्णा अपने काम के लिए घर से निकल पड़ा था

जब कृष्णा का दोस्त कृष्णा पर पर पहुंचा और कृष्णा को नहीं देखा तो उसने कृष्णा के मां से पुछा कि चाची कृष्णा कहा है

तो कृष्णा के मां बोली बेटा वो तो काम पर गया है

कृष्णा का दोस्त कृष्णा के मां से पुछा और कृष्णा के पास पहुंचा और कृष्णा मैं तुम्हें एक बड़ी खुशी का बात कहने आया हूं

कृष्णा – हां बोल क्या खुशी का बात कहने आया है।

दोस्त – कृष्णा राधा मैडम आयी है

कृष्णा – देख दोस्त मुझे उसकी याद दिला कर तु दर्द जगाने आया है कि खुशी बताने

दोस्त – देख कृष्णा आज से पहले हमने तुम्हें राधा जी के बारे में कुछ नहीं कहा पर आज कह रहा हूं
इसलिए कि उसको कल पुरा दिन मैं रामपुर घुमाया अपने ओटो में बैठाकर और हम दोनों एक-दूसरे से बहुत बात किये।
राधा मैडम तुम्हारे बारे में भी पुछ रहीं थीं तो मैं उन्हें इतना ही बताया कि तुम ठीक हों

अब कृष्णा को लग रहा था कि राधा मेरे लिए ही आयी होगी
वो अपने दोस्त से पुछा कहा रुकी है राधा मैडम

तो दोस्त ने कहा चल मैं तुझे वहां पहुंचा देता हूं

कृष्णा बोला चल यार जल्दी चल अब मुझे उसे देखें बीना करार नहीं है और दोनों ओटो बैठ राधा से मिलने चल दिया

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