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15 Jan 2022 · 1 min read

जब वो सामने आता है

अच्छा लगता है देखकर तेरी तस्वीर भी
सुकून मिलता है मेरी इन आंखों को भी
जब भी आता है तेरा चेहरा सामने मेरे
देखकर उसे जाग जाती है सोई तकदीर भी।।

चेहरे तो देखें है मैने लाखों इस जहां में
लेकिन तुम सा कोई दिखा नहीं जहां में
मिलता है जो सुकून आकर तेरी बाहों में
ऐसा सुकून मिलता नहीं कहीं और जहां में।।

तेरी आवाज़ मुझे बहुत भा गई है
सुनकर इसे तेरी याद फिर आ गई है
न जाने कब आएगा तू मिलने मुझे
गर्मियों की वो शाम फिर आ गई है।।

मेरी ज़िंदगी बन गए हो तुम आज
मेरे दिल में बस गए हो तुम आज
दिख रहे है हज़ारों चेहरे महफिल में
क्यों नज़र नहीं आ रहे हो तुम आज।।

है सब दोस्त आज महफिल में
ढूंढ रही है नजरें तुम्हें जाने क्या बात है
समझो बैचैनी मेरी नज़रों की तुम
आई आज फिर महफिल की रात है।।

महसूस हो रहा अकेलापन यहां
महफिल में अकेले रहना भी अच्छा नहीं
जो आ जाए तू महफिल में अब
मेरे लिए इस बात से कुछ भी अच्छा नहीं।।

खिल उठेगा सारा समा आज यहां
जब तू महफिल में अपने कदम रखेगा
मिल जायेगा सुकून मेरी नज़रों को
जब बड़े दिनों बाद मेरा महबूब दिखेगा।।

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