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4 Jan 2022 · 1 min read

ज़िंदगी का जश्न

जो मेरी न हुई
उसका ग़म क्या करूं!
बेवफ़ा के लिए
आंखें नम क्या करूं!!
मरना तो है ही
आख़िर मुझे एक दिन!
भला मैं अभी से
जीना कम क्या करूं!!

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