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2 Jan 2022 · 1 min read

आशियाना

किसे फुर्सत क्यों कोई
किसी को महसूस करे
अपने गम हैं क्या कम
जो गैरों का ख्याल करे

अकेला-पन मेरे अंदर
बाहर भीड़ मे शामिल
समझे जायें सबकेसाथ
एकांत मुझ मे कामिल

ये हुस्न ये रूप ये नाज
रखो सहेज अपने लिए
हम हैं न कम किसी से
मरेंगे न किसी के लिए

खुला – पन है पसंद हमे
पर्दादारों से न कोईकाम
हमराज हो जाते बेवफा
राजदारी रक्खेगें तमाम

दिल टूटा धड़कने चलती
अश्क खुश्क हो जायेंगे
तिनका-तिनका जोड़कर
आशियाना नया बनाएंगे

स्वरचित मौलिक सर्वाधिकार सुरक्षित
अश्वनी कुमार जायसवाल कानपुर

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