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28 Dec 2021 · 1 min read

हाइकु ( माघ व पूस)

हाइकु ( माघ व पूस)

माघ व पूस,
चले पवन ठंडी,
है शीतकाल।
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कंपकपाता,
बदन हरेक का,
लगती जाड़ा।
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पेड़-पौधे भी,
ठिठुर रहे अब,
पंछी तो पंछी।
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…….✍️पंकज ‘कर्ण’
…………..कटिहार।।

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