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11 Dec 2021 · 1 min read

हो रही देश में तरक्की ...

चल रहा है महंगाई का दौर ,

ना खाने को अन्न ,

ना रहने को मकान ,

मगर हो रही है देश में तरक्की .

हर तरफ है लूटमार ,

हत्या और बलात्कार ,

-न्याय – कानून है लाचार ,

मगर हो रही है देश में तरक्की .

रिश्वत खोरी और काला -बाजारी ,

बईमानी और घोटाले बाज़ी ,

और उस पर सत्ता की रस्साकशी ,

चरमरा गयी शासन व्यवस्था ,

मगर हो रही है देश में तरक्की .

ससुर उठाये बहु का घूँघट,

पिता रखे पुत्री पर बुरी नज़र,

शर्मसार हुए रिश्तों की पवित्रता ,

मगर हो रही है देश में तरक्की .

यह आधुनिक बालाएं ,

यह फ़िल्मी अप्सराएँ ,

हुईं नंगे पन पे मजबूर ,

शर्मो- हया को गयी बिलकुल भूल ,

मगर हो रही है देश में तरक्की .

अगर है यही तरक्की ,तो किस बिना पर?

चाहे झूठी ही सही !

मगर हो रही है देश में तरक्की।

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