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9 Dec 2021 · 1 min read

गिला शिकवा रहने भी दो ...

बहुत देर लगा दी ऐ दोस्त!
तुमने मेरे जज़्बात समझने में ।
अब तो जिंदगी की शाम होने जा रही है ,
काश ! तुमने कुछ तो कह दिया होता अंजाने में।
खैर छोड़ो ! अब यह गिला शिकवा ,
अब उम्र ही बाकी न रही कह सुनाने में।

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