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8 Dec 2021 · 1 min read

यह है इंसानों की दुनिया ..

क्या यही है इंसानों की दुनिया ,

झूठी और मक्कार यह दुनिया .

कुछ आस्तीन के सांप हैं यहाँ ,

है दगाबाज़ और कपटी दुनिया .

आग लगाए अपने ही आशियाँ में,

ऐसे चिरागों से भरी है ये दुनिया .

दीमक बन अपना घर खा जाये ,

ऐसे दुश्मनों से भरी है दुनिया.

यहाँ कुछ फूल है तो कुछ कांटे भी,

गहरी साजिशें करती है यह दुनिया.

इंसानों की परिभाषा बदल चुकी है ,

इंसान के रूप में शैतानो की है दुनिया .

इंसान से डरता है खुद आज इंसान ही ,

कितने ही वेह्शी /दरिंदों से भरी है दुनिया.

जिंदगी है महंगी और मौत सस्ती जहाँ,

असंख्य लाशों के ढेर से भरी है दुनिया.

कुछ निरीह ,मासूम इंसान ,जीव-जंतु ,

पक्षी और प्रकृति हेतु नहीं रही यह दुनिया.

इस दुनिया को आग लगा दी ! मिटा दो !! ,

चलो फिर से बसायें नयी प्यार की दुनिया.

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