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6 Dec 2021 · 1 min read

एक विरहनी की वेदना

दिल धड़कता नही अब तुम्हारे बिना
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दिल धड़कता नही अब तुम्हारे बिना।
जी नहीं सकती मै अब तुम्हारे बिना।।

जब से पड़ी दिल पे तुम्हारी परछाई।
बजने लगी दिल में तुम्हारी शहनाई।।

आ जाओ सनम अब बारात तुम लेके।
खड़ी हूं द्वार पर फूलो का हार मै लेके।।

दूर रहकर भी बहुत पास हो तुम मेरे।
आकर गले लग जाओ अब तुम मेरे।।

तड़फाओ न और अधिक तुम मुझको।
कुछ तो दिलासा दो आकर तुम मुझको।।

जी नहीं सकती मै अब तुम्हारे बिना।
रह नही सकती मै अब तुम्हारे बिना।।

आर के रस्तोगी गुरुग्राम

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