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3 Dec 2021 · 1 min read

वीज़ा के लिए इंतज़ार

आज भी खड़ा है अंबेडकर
वीज़ा के इंतजार में
क्या कोई जगह ही नहीं है
उसके लिए इस दयार में…
(१)
जात-पात के नाम पर जैसे
ज़ुल्म ढाए गए हैं यहां
उसकी मिसाल नहीं मिलती है
कोई और संसार में…
(२)
उलट जाएंगे कितने तख़्त
पलट जाएंगे कितने ताज
जो आने लगीं असली ख़बरें
टीवी और अख़बार में…
(३)
एक सभ्य समाज के लिए
यह कितने शर्म की बात है
सड़ रहे हैं करोड़ों लोग
अभी जिस तरह अंधकार में…
(४)
आदिवासी और दलित
कोई इंसान थोड़े ही हैं
कौन उठाए झंझट आख़िर
उनके लिए बेकार में…
(५)
मुझे मिली है यह हिम्मत
उस आदि विद्रोही कबीर से
जो सुना देता हूं मैं दो टूक
किसी को भरे दरबार में…
#Geetkar
Shekhar Chandra Mitra
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