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2 Dec 2021 · 1 min read

एक अदद महरी की तमन्ना ( हास्य व्यंग कविता)

हमें रहती है सदा ,
एक अदद महरी की तमन्ना ।
जो नित्य आए समय पर ,
और छुट्टी को कहे बिल्कुल न ।
यदि करे भी कोई छुट्टी तो ,
बहुत कम करे ।
जाना भी पड़ जाए गर ,तो
अपनी जगह किसी दूसरी को भेजा करे।
काम करे बिल्कुल बेहतरीन,
ना कभी रोकना या टोकना पड़े ।
बर्तन चकाचक ,फर्श शीशे जैसा ,
और डस्टिंग भी कर दिया करे ।
और कपड़े भी धो दिया करे ,
यदि धोना पड़े ।
और धोकर सुखाकर कपड़े ,
तय लगाकर भी रख दे।
सारा काम बड़ी फुर्ती से करे न करे,
मगर काम सलीके का करे।
जो भी काम बोलूं कभी इनकार न करे।
इसके अतिरिक्त वाणी में भी संयम हो ।
तमीज और तहजीब में सुशील हो ।
ना आंखें दिखाए ,ना मुंह बिचकाए ,
बस जो भी कहुं हां हां हूं हूं करके सुनती जाए ।
कहां मिलेगी ऐसी सर्वगुण संपन्न महरी ,
जिसे देखकर मन अति हर्षाए ।
काश ! भगवान मेरे सपनों को साकार कर ,
इस महरी के दर्शन करवा दे ।??????

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