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4 Nov 2021 · 1 min read

मरहम

घाव दिए पहाड़ से, मरहम – जितनी राई
मेरी मोटी खोपड़ी में बात समझ ना आई
बात समझ ना आई ये मरहम बे असर है
और कितना निचोड़ोगे बची कोई कसर है
पांच रुपये का लालच देकर चार गुना बढ़ाएंगे
हम नादान नासमझ कुछ भी ना कह पाएंगे

वीर कुमार जैन ‘अकेला’

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