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3 Nov 2021 · 1 min read

दोहे तरुण के।

हो दीपक की रोशनी, अँधियारा हो दूर।
मावस हारे जीत का, मने जश्न भरपूर।।

दीन दुखी की कर मदद, होगा वहाँ उजास।
पतझड़ भी दिखने लगे ,बासन्ती मधुमास।।
पंकज शर्मा”तरुण”.

Language: Hindi
370 Views

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