Sahityapedia
Sign in
Home
Your Posts
QuoteWriter
Account
2 Nov 2021 · 1 min read

याद तुम्हारी आती है (गीत)

याद तुम्हारी आती है ( गीत )
■■■■■■■■■■■■■■■■■■■
घर में यूँ तो सब कुछ है पर याद तुम्हारी आती है
(1)
मुँह में लेता कौर और तुम चुपके से आ जाते
बसे हुए हर एक स्वाद में मन ही मन मुस्काते
गरम पराँठा सब्जी आलू की जब छटा सजाती है
घर में यूँ तो सब कुछ है ,पर याद तुम्हारी आती है
(2)
घर के आँगन में खुशबू हर ओर तुम्हारी फैली
कभी न होगी सदा ताजगी वाली छवियाँ मैली
धुँधली जैसे बूँद ओस की शीशों पर जम जाती है
घर में यूँ तो सब कुछ है ,पर याद तुम्हारी आती है
(3)
ऐसी आदत पड़ी तुम्हारे बिन जीना क्या जीना
चुस्की शहद भरी है लेकिन कड़वा लगता पीना
हवा अकेलेपन में आकर जाने क्या बतियाती है
घर में यूँ तो सब कुछ है ,पर याद तुम्हारी आती है
■■■■■■■■■■■■■■■■■■■■■■
रचयिता : रवि प्रकाश ,बाजार सर्राफा
रामपुर( उत्तर प्रदेश )
मोबाइल 99976 15451

Loading...