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5 Oct 2021 · 1 min read

अब नाव भँवर में है गर्दिश में सितारे हैं।

गज़ल
221…….1222……221……1222

हम जिनके सहारे हैं कब साथ हमारे हैं।
अब नाव भँवर में है औ’र दूर किनारे हैं।

पतवार तुम्हारे ही हाथों में थमा दी जब,
डर कोई नहीं होगा प्रभु आप सहारे हैं।

दरिया से जो बच पाये डूबेंगे समंदर में,
बेमौत मरेंगे जो मुफ़लिस ही विचारे हैं।

भगवान बने थे जो भगवान के सम्मुख ही,
जनता को रहे ठगते अब जेल में सारे हैं।

माँ बाप बहन भाई कोई न सगा उनका,
जीते भी हैं मरते भी कुर्सी के सहारे हैं।

……✍️प्रेमी

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