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30 Sep 2021 · 1 min read

वर्षा का जल भर गया

विनोद सिल्ला के दोहे

वर्षा का जल भर गया, गली बन गई ताल।
जलमग्न शहर हो गया, हुए बाढ़ से हाल।।

झुग्गी सारी ढूब गई, घर से बेघर लोग।
मच्छर डिस्को कर रहे, फैल रहे हैं रोग।।

गटर पेयजल मिल गए, हुआ देख गठजोड़।
गठबंधन कर ना सता, सांसें मेरी छोड़।।

पोल ढोल की खुल गई, कितना हुआ विकास।
पार्षद मुंह छिपा रहा, लोग करें उपहास।।

मेंढक खुशी मना रहे, आई जो बरसात।
राग बेसुरा गा रहे, सुन ले मन की बात।।

काम-काज सब ठप पड़े, परिजन हैं बेहाल।
पानी घुसा मकान में, करके यत्न निकाल।।

‘सिल्ला’ है सब लिख रहा, टोहाना का हाल।
कश्ती रतिया रोड़ पर, करती देख कमाल।।

-विनोद सिल्ला

Language: Hindi
265 Views

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