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21 Sep 2021 · 1 min read

पवित्र बन्धन

इबादत करूँ मैं अल्लाह की
रात की चान्दनी देखूँ तबसे
मुकम्मल दास्तां की धरोहर में
ख़्वाबों के सपनों मैं , सजाऊँ कैसे ?

प्रेम भाव के आलिङ्गन में समाऊँ
तन – मन ह्रदय में छा जाऊँ संसार
हज़रत मोहम्मद के पैग़ामों से
जन – जन भाईचारा का सन्देश जगाऊँ

विजय सन्देश पवित्र बन्धन है
ईदों के त्यौहारों का तोहफ़ा विस्मित
क़यामत दहलीज़ खुदा कुर्बान मैं
दस्तूर है मुबारकबाद का अपना

कण – कण से होता जगजीवन निर्माण
ख़ुदा है जो करता विश्वकल्याण
मानवीयता बना जन्नत दरवाजा
महफूज़ रहूँ सदा भवजाल से

शशि शहंशाह फ़रिश्ता अपना
मोहब्बत सरताज सरफरोशी सरसी
हो जाऊँ प्रभा तम तिमिर में
घन – घन घनश्याम बूँद – बूँद बने‌ हम

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