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4 Aug 2021 · 2 min read

किस्सा ए कामवाली ( हाउस मेड) {हास्य व्यंग कविता}

जब ना आये वोह काम पर ,
तो हम पर आ जाती आफत।
मगर जब आ जाये वो तो ,
चेहरे की बढ़ जाती है रौनक।

वोह समझती है की मैडम का ,
हाल बहुत अच्छा है।
उसे क्या पता की उसके ,
आने से पहले हमने उसे कोसा है..

” अभी तक नहीं आई ,
कही छुट्टी करने की नियत तो नही ।
क्या वह खुद बीमार हो गई ,
या कोई समस्या तो नही ।

समस्या चाहे कोई हो ,
इनके लिए नई है क्या ?
इनके पास तैयार रहती हैं,कहानियां,
आज कोई नई कहानी है क्या ?

कहानी होती है इनकी ,
कुछ अपनी कुछ पराई ।
कभी पड़ोसियों से अनबन ,
तो कभी घरेलू लड़ाई ।

बस ! तो फिर आंखों में आसूं लाकर ,
सूजा हुआ मुंह दिखाकर ।
उस पर उदासी की चादर ओढ़े,
काम से लाचारी दिखाकर।

देखकर उसकी दीन हीन अवस्था,
मुंह से निकलता है “बेचारी ” ,
उसे कुर्सी पर बैठा के की जाती है,
आव भगत सारी ।

पहले तो जरूरत ,
फिर आदत बन जाती है ।
यह मेहरिया हमारी कमजोरियां,
खूब पहचानती है।

इन्हें मालिको की नब्ज ,
पहचानना खूब आता है।
कैसे जीते इनका दिल ,
सहानुभूति लेना खूब आता है ।

सच मानो तो यह हमसे ज़ायदा,
होती है दुनियादारी में निपुण।
है तो वो अंगूठा -छाप मगर ,
सामान्य ज्ञान और शहर की खबरों ,
होती है सदा परिपूर्ण।

इनके आने से घर की ,
कायापलट हो जाये।
जो काम लगते थे भारी ,
वह एक क्षणमें निपट जाये।

वह ना आये तो एक मेहमान भी,
मुसीबत लगता है।
और यदि वह हो घर में मौजूद,
चाहे १० आ जाए ,
कोई फर्क नहीं पड़ता है।

वह चाहे जैसी भी हो ,
हमारे मन को भाये।
हम पर चाहे जो गुज़रे ,
मगर उसपर कोई आंच ना आये ,

यही दुआ करता है हमेशा दिल,
क्योंकि वो ठीक तो हम भी ठीक ।
वो बीमार तो हम भी बीमार ,
फिर हम कहां से रह पाए ठीक ।

यह है घर घर की कहानी ,
शायद आपको पसंद आए ।
हो सकती है आपकी भी आप बीती ,
गर आपको मन भाए ।

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