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25 Jul 2021 · 1 min read

मुक्तक

मुक्तक

1.

जब तुम्हें प्रेम की पावनता का , बोध होने लगे

जब तुम्हें प्रेम की सात्विकता का , भान होने लगे

जब तुम्हें अपनी प्रियतमा में , आत्मिक प्रेम होने लगे

तब समझना तुम प्रेम रुपी परमेश्वर की अराधना में , लीन होने लगे हो ||

2.

जब तुम प्रत्येक कर्म को पवन समझने लगो

जब तुम्हारी प्रत्येक कर्म में प्रीति होने लगे

जब प्रत्येक कर्म को , तुम पूजा की तरह पूजने लगो

तब समझना कि तुम पर माँ शारदे की अनुपम कृपा है ||

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