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21 Jul 2021 · 1 min read

इधर उधर भटक नहीं, यहाँ वहाँ कही नहीं।

गज़ल
मुफाइलुन मुफाइलुन मुफाइलुन मुफाइलुन
1212……1212…..1212……1212

इधर उधर भटक नहीं, यहाँ वहाँ कही नहीं।
चला जा अपने पथ पे तू, बेराह हो सही नहीं।

हमारे साथ तुम रहो, तुम्हारे साथ हम रहें,
यही तो प्रेमगीत है, सुनो ये धुन सुनी नहीं।

वो हैं अभी भी अधखिली, कली से फूल बन सके,
बचा के हम रखें उन्हें, अभी नहीं कभी नहीं।

ये सत्य और अहिंसा जो, गांधी जी की देन है,
कि इसके आगे गोरों की भी, एक भी चली नहीं।

ये जिंदगी उसी की है, उसी को सौंप देना है,
बिला वज़ह न खुश रहो, ये अपनी थी कभी नहीं।

जो प्रेमी हैं, ये प्रेम के पुजारी, जानते है सब,
कि प्रेम के बिना तो, मीरा राधिका बनी नहीं।

…….✍️ प्रेमी

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