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21 Jul 2021 · 1 min read

नया सपना सजाऊं ___ गजल/ गीतिका

सोचा तो था तुम्हारे लिए ही गाऊ।
छोड़ तुम्हें मैं और कहां जाऊं।
पर तुम भी सुनो गीत मेरे,
इतना तो जरूर मैं चाहूं।।
कहीं ऐसा ना हो मैं गाता रहूं।
संगीत के स्वर बहाता रहूं।
पर तुम्हें ही अपने बीच न पाऊं।।
करता हूं आशा समझोगे मेरी भावना।
तुम लगाओ प्रीत मैं भी लगाऊं।।
जब स्वर हमारे मिल जाएंगे।
दोनों ही एक धुन गाएंगे।
तब एक नया सपना सजाऊं।।
राजेश व्यास अनुनय

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