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3 Jul 2021 · 1 min read

मैं एक क्षणिक झोंका हवा का...

मैं एक क्षणिक झोंका हवा का ….

रोकोगे जो तुम प्यार से, कुछ पल को ठहर जाऊँगी,
वरना आम मुसाफिर की तरह,मैं भी गुजर जाऊँगी।

मैं एक क्षणिक झोंका हवा का, कोई बिसात न मेरी,
तलाशोगे अगर मुझे तुम, मैं कहीं नजर न आऊँगी।

आज जो करनी बात कर लो, क्या खबर कल की,
क्या पता, कल तक बिखर कर, मैं किधर जाऊँगी।

इतनी लंबी जो ये दूरियाँ हैं, मेरे – तुम्हारे बीच में
लाख जतन करके भी इन्हें, पार न मैं कर पाऊँगी।

दे रही है कब से दस्तक, मौत खड़ी मेरे द्वार पर,
साथ उसके जल्द ही, एक नए सफर पर जाऊँगी।
-सीमा अग्रवाल
मुरादाबाद

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