दो दोहे-“गुरु जी” पर केंद्रित
2-दोहे- बिषय- गुरु
1
गुरु की जो सेवा करे,
मिले उसे सम्मान।
गुरु के ही आशीष से,
बनता शिष्य महान।।
***
2
गुरु सदैव ही बांटता,
निज सुगंध ज्यों फूल।
उनके ही सद्ज्ञान से,
मिट जिते जग-शूल।।
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© राजीव नामदेव “राना लिधौरी” टीकमगढ़
संपादक “आकांक्षा” पत्रिका
जिलाध्यक्ष म.प्र. लेखक संघ टीकमगढ़
अध्यक्ष वनमाली सृजन केन्द्र टीकमगढ़
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