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17 Jun 2021 · 1 min read

ए मौत बुरा हो तेरा ...

ए मौत ! बुरा हो तेरा ,
तूने घर कोई न छोड़ा ।

बच्चे ,बुरे या जवान ,
तूने किसी को न छोड़ा ।

कभी रोग कभी हादसा ,
कई बहानों से तीर छोड़ा ।

जिंदगी देती रही दुहाई,
उसकी सांसों को न छोड़ा ।

तू कब आई ,कब गई ,
कदमों का निशा तक न छोड़ा ।

उजले लिबास में छुपकर,
घरों में मातम का अंधेरा छोड़ा ।

और फिर अंत में तूने ,
यादों का स्याह धुंआ सा छोड़ा ।

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