Sahityapedia
Sign in
Home
Your Posts
QuoteWriter
Account
17 Jun 2021 · 1 min read

आम पर विचार (मुक्तक)

**************

सब आम खा रहे थे मैंने भी खाया,
हाय! इतना खट्टा आम मेरे हिस्से क्यों आया।
इस खट्टे आम का मैंने अचार क्यों नहीं बनाया,
उम्मीद है यह “आम” मुक्तक आपको पसंद आया।।
**********

स्वरचित एवं मौलिक
मैं
16-06-2021

Loading...