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17 Jun 2021 · 1 min read

कभी मुस्करा दो

*** कभी मुस्करा दो (ग़ज़ल) **
**** 122 122 122 12 ****
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खुशी से कभी मुस्करा दो जरा,
अलख प्यार का तुम जगा दो जरा।

गिला क्या तनिक तो बताओ हमें,
खफा हो सनम क्यों बता दो ज़रा।

कभी जान का जां फिक्र तो करो,
नज़र प्यार की तो मिला दो ज़रा।

किसी मोड़ पर भी नहीं हम गलत,
गलत हैं अगर तो सज़ा दो ज़रा।

भली भांति भी भाव भ्रमित हुए,
मगर ख्वाब लिप्सा तपा दो ज़रा।

गमों के जलज को हटाओ जरा,
अमन की हवा को चला दो ज़रा।

कहे बात सीरत सदा सच यहाँ,
मग़र ज़िंदगी में वफ़ा दो ज़रा।
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सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)

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