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15 Jun 2021 · 1 min read

#आहटें#

ये कैसी है आहटेंं तेरी, अक्सर सोते हुए भी मुझे जागने सा एहसास करा जाती हैंं!
यादोंं के जंगल मे शेरनी बने बैठे हो,ख्वाबो ख्यालोंं की बनी हो मल्लीका!
आखोंं मेंं कुछ यूँँ बैठे हो, कलम धरते ही तस्वीरोंं मे उकेर जाया करती हो!
झरना किनारे बैठूँँ या टहलूँँ बागोंं मेंं, हवाएँँ भी तेरी ख्शबूएँँ लिए
सरसराती हैंं !
ये कैसी हैंं आहटेंं तेरी,अक्सर सोते हुए भी जागने सा एहसास करा जाती हैंं !

ये कौन सा जादु करके रखा है जानम की लम्हा भर भी दिल को अब सकून नहींं मिलता!
बस खोया रहता है दिल तेरी ही मखमली यादोंं मेंं !फिर पलक झपकते ही छूमंतर हो जाया करती हो!
ख्वाबोंं मेंं मिलने का वादा करके जाने हकीकत मे क्यूँँ इतना तडपाती है!
ये कैसी हैंं आहटेंं तेरी,अक्सर सोते हुए भी जागने सा एहसास करा जाती हैंं!

चैन लुटने की ये तरकीबेंं कहाँँ से सीखी हो, जानेमन हुनर ये हमेंं भी सिखाया करो!
दुर क्यूँँ बैठे हो ,पास बैठो,कभी जाम होठोंं से पिलाया करो!
कभी आया करो मेरी गली मेंं,फूलो की कली मेंं,भौरा बन के मधूर गीत गाऐगेंं !
सुनाऐगेंं हाल -ए – दिल,कुछ तुम भी सुना देना करीब से ,जो बातेंं दूर – दूर से ही बडबडा जाती हैंं!
ये कैसी हैंं आहटेंं तेरी,अक्सर सोते हुए भी जागने सा एहसास करा जाती हैंं!.,,,,……………………………………………….
… ……… …….. …..
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द्वारा:-
स्वरचित रचनाकार ,कवि,
संगीतकार व गायक ~ Nagendra Nath Mahto.
अन्य कृतियो के लिए
Youtube mein search karein – n n mahto official
धन्यवाद !
All copyrights:- Nagendra Nath mahto.

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