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27 May 2021 · 1 min read

!! यथार्थ !!

!! पाँच दोहे !!

**एक**

हर कोई छलने लगा, किस पर करें यकीन,
मनवा तो बोझिल हुआ, चैन गया अब छीन ।

**दो**

कमजोरों की बात हो, रख लो उनका मान,
जो मलीन हैं जगत में, दो उनको सम्मान ।

**तीन**

पीढ़ी ऐसी आ गयी, सुने नहीं अब बात,
घर से बाहर ही रहे, दिन हो चाहे रात ।

**चार**

दशा बदल दी देश की, खेले खेल हज़ार,
साँसों के लाले पड़े, नहीं मिले तीमार ।

**पांच**

जैसे-जैसे उम्र बढ़े, अनुभव होय अपार,
मिले मान तो ठीक है, या फिर सब बेकार ।

दीपक “दीप” श्रीवास्तव

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