Sahityapedia
Sign in
Home
Your Posts
QuoteWriter
Account
26 May 2021 · 1 min read

भगवान बुद्ध

।। बुद्ध पूर्णिमा और भगवान बुद्ध ।।
—————————————-
संसार के ख़ातिर जो त्यागें ख़ुद की इच्छा, बुद्ध वहीं हैं
त्यागकर महलों की सुविधा मांगें भिक्षा, बुध्द वहीं हैं
मानव के कल्याण ख़ातिर ले ले दीक्षा, बुध्द वहीं हैं
प्रयास से जिसके जगत की दूर हो तृष्णा, बुद्ध वहीं हैं

देखकर संसार की दुर्गति,ख़ुद को खपा दे, बुद्ध वहीं हैं
दिलाना चाहें सबकों मुक्ति,ख़ुद को हटा के, बुध्द वहीं हैं
सह ले सबका क्रोध हिंसा मुस्कुरा के, बुद्ध वहीं हैं
ला दे सबकों अपनें वचन से सत्य रहा पे, बुद्ध वहीं हैं

सम्यक दृष्टि समभाव संतुलन बनकर रहें जो, बुद्ध वहीं हैं
देख कर विपदा विषाद में डंटकर रहें जो, बुद्ध वहीं हैं
अन्वेषक सा बनकर चाहे समाधान संसार का जो
समभाव सा बनके जगत में सागर सा बहें जो, बुद्ध वहीं है

जन्म रहस्य और मृत्यु का सपना जला दें, बुद्ध वहीं हैं
मानवता अहिंसा सबकें मन में जगा दें, बुद्ध वहीं है
किसी से कोई नफरत द्वेष घृणा तनिक ना मन में रखता
सरल सहज़ और शुद्ध हृदय से अपना बना ले, बुद्ध वहीं हैं

जटिल जीवन नहीं साधु जैसा सहज़ जीवन से मुक्ति, बुध्द है
वर्ण वर्ग कुल जात पात नहीं मौलिकता से मुक्ति, बुद्ध हैं
भक्ति क्रांति का व्यापार मिटाके तोड़े वर्ग विशेष का शान
सत्य शांति और सतपथ चलकर मानवता से मुक्ति, बुद्ध है ।।
©बिमल तिवारी “आत्मबोध”
देवरिया उत्तर प्रदेश

Loading...