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24 May 2021 · 1 min read

खुशियों की बरसात

बादलों की गड़गड़ाहट से,
बारिश की रिमझिम फुहार हुई,
धरती की प्यास बुझी,
सबके मन मे खुशियां छाई।
मोर भी नाच उठा,
पेड़ पौधे खुशियों से झूमे,
सूखी नदियों में अब जान आई,
चहुँ ओर धरा पर छाई हरियाली।
बरसात की तो बात निराली है,
हर मौसम से दूजा इनकी कहानी है,
मोतियों सी लगती बारिश की बूंदे हैं,
हर बूंदों में छिपी धरा की खुशहाली है।।
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द्वारा- बलराम निर्मलकर
कवर्धा, छत्तीसगढ़

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