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22 May 2021 · 1 min read

!! रिश्ता !!

!! रिश्ता !!

है बेहतर ग़र कोई रिश्ता तो रिश्ते को संभालो तुम,
जो हमदम रुठ भी जाये तो हमदम को मना लो तुम।

ज़माने में बड़ी मुश्किल से दिल के तार जुड़ते हैं,
कोई दिल टूट ना जाये मोहब्बत में बचा लो तुम।

जरा सी बात पर ग़र फ़ासले आपस में बढ़ जायें,
कोई फिर रुठ ना जाये जरा झुककर निभा लो तुम।

तुम्हारी आहटों पर गर किसी का दिल धड़कता हो,
तो हो जैसा भी वो इंसा उसे अपना बना लो तुम।

दिलों के दरमियां बढ़ने लगी हैं दूरियाँ “दीपक”,
भुलाकर सब गिले-शिकवे गले सबको लगा लो तुम।

दीपक “दीप” श्रीवास्तव
पालघर, महाराष्ट्र

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