Sahityapedia
Sign in
Home
Your Posts
QuoteWriter
Account
19 May 2021 · 1 min read

बरसात के दिन भूले नहीं हम

बरसात के दिन भूले नहीं हम
**********************
बरसात के दिन भूले नहीं हम,
बचपन को याद करते अब हम।
लौटा दे कोई बचपन अब हमारा,
उसका एहसान सदा मानेंगे हम।।

कागज की किश्ती बनाते थे हम,
किश्ती बनाकर उसे तैराते थे हम।
डूब जाती थी जब किश्ती हमारी,
ताली बजाकर खूब हंसते थे हम।।

गरजते थे जब बादल डरते थे हम,
डरकर मां की गोद में छिपते थे हम।
करते थे फर्माइश पकोडो की मां से,
मां पकोड़े बनाती थी खूब खाते थे हम।।

तेज बारिश को जब देखते थे हम,
कपड़े उतार कर खूब नहाते थे हम।
करते थे खूब मस्ती बारिश में हम,
कभी आपस में लड़ते झगड़ते थे हम।।

घनघोर घटाएं नभ में घिरती थी जब,
धरती पर अंधेरा छा जाता था जब।
दिन में ही रात हो जाती थी तब
दिन में ही दीया जलाते थे जब।।

आर के रस्तोगी गुरुग्राम

Loading...