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30 Apr 2021 · 1 min read

कविता ( कोरोना मिर्ची )

सयाने की सीख
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बिना काम के घर से बाहर,
सिर्फ घूमने मत जाओ ।

मास्क लगाकर ढक लो चहरा,
जरा नहीं गफलत लाओ ।

यह बीमारी कोरोना की ,
छुपे रूप में ठगती है ।

बात हमारी सुनकर तुमको,
दिल में मिर्ची लगती है ।

लिया लपेट वायरस ने तो ,
सांस निकलना मुश्किल है ।

तेल खत्म कर दे साहस का
दीपक जलना मुश्किल है ।

कब कैसे घुस जाय कहाँ से,
हरदम रहता खटका है ।

घुसे कहीं से लेकिन सीधा,
गले में जाके अटका है ।

बैड डाक्टर वेंटिलेटर ,
काम न करे दवा दारू।

सांस सांस में लूट रहे हैं,
पल पल पर नारू खारू ।

ऐसा मौका मत आने दो,
बनो मुसीबत के ब्रेकर ।

अगर हो गया कहाँ फिरोगे,
कोरोना को ले लेकर ।

दिखती नहीं आग पीड़ा की,
भीतर भीतर दगती है ।

सच कहते हैं किंतु तुम्हारे ,
दिल में मिर्ची लगती है ।।

गुरू सक्सेना
नरसिंहपुर मध्यप्रदेश

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