माई से गुहार
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#आल्हा_छंद
२०/०४/२०२१ (मंगर)
#माई_से_गुहार
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नवदुर्गा नव रूप भवानी, महिमा तोहर अगम अपार।
दुष्टन पर घन बन घहरालू, करे ला भगता जय जयकार।
महिषासुर अधमी के माई, दिहलू पल छन में तू मार।
शुम्भ निशुम्भ व रक्तबीज से, कइलू संतन के उद्धार।।
आज करोना काल बनल बा, चहुदिश में बा हाहाकार।
मुदई के मां मार भगावा, कर दऽ भव के बेड़ा पार।
भगता तोह से आश लगावे, मइया तूही तारनहार।
दुष्टन पर घन बन घहरालू, करेला भगता जय जयकार।।
कांप रहल बा आज करेजा, अँखिया से बरसे ला लोर।
जग में फइलल धूप अँहरियाँ, कब होई ऐहि रात के भोर।
हे मइयाँ! हे खप्पर वाली, अब त बाटे तोहरे आस।
महिषासुर के मरलू जइसे, करऽ महामारी के नाश।।
पूरन कइद भगत के असरा, मइयाँ तू ही खेवनहार।
दुष्टन पर घन बन घहरालू, करेला भगता जय जयकार।।
क्षुद्रकाय अतिकाय बनल ई, हरले बा जन – जन के ज्ञान।
घर-घर में बा रूदन पड़ल मां, खड़ा करोना सीना तान।
मुंह पसरले काल खड़ा बा, लउकत नइखे कवनो राह।
घोर निराशा जन-जन में बा, हियरा से निकसत बा आह।
रक्तबीज सम बनल करोना, खप्पर ले माई संहार।
दुष्टन पर घन बन घहरालू, करेला भगता जय जयकार।।
✍️ पं.संजीव शुक्ल ‘सचिन’
मुसहरवा (मंशानगर)
पश्चिमी चम्पारण, बिहार