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12 Apr 2021 · 1 min read

चंद एहसास

1.

“वंदना” उसकी करता हूँ , आज भी मैं
कभी वो खुदा रहे हैं , मेरी मुहब्बत का

2.

“वंदना “ तुझको भूल जाऊं , यह आरज़ू नहीं है
मुहब्बत की बातों को तुम , खेल न समझना

3.

मुहब्बत की कोई सुबह , और कोई शाम नहीं होती
ये तो वफ़ा – ए – खुदाई है , कोई जाम तो नहीं

4.

वफ़ा के बदले वफ़ा मिले , ये आरज़ू न कर
ये दुनिया मौकापरस्तों से , पट चुकी है

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