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19 Mar 2021 · 1 min read

अफ़साना हो जाती है नाउम्मीद जिन्दगी

1.

अफ़साना हो जाती है नाउम्मीद जिन्दगी
धरोहर हो जाती है आदिल जिन्दगी

2.

आदमियत का एहसास इंसान बना देता है
इबादत का एहसास भगवान् बना देता है

3.

इकरार कर लिया है मैंने उस खुदा से
जब तक रहेंगी साँसें , तेरी इबादत करूँगा मैं

4.

कोई तरकीब कोई उपाय बता, ऐ मेरे खुदा
इस जवाँ खून को , इबादते – इंसानियत पढ़ा सकूं

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