Sahityapedia
Sign in
Home
Your Posts
QuoteWriter
Account
12 Mar 2021 · 1 min read

*अनकही*

अनकही
**********

उदास आँखों की अनकही कहानियाँ,
मुस्कुराते लब सिसकता दिल
ज़ज्बातो से उठता आरजूओं का धुआं।
टूटी उम्मीदें दर्द की रवानियाँ
उतार दिए हैं लफ्जों में
अश्कों की स्याही से
समझ पाओगे तुम!?
मिलना हुआ जो अगर मुझसे
मेरी कविताओं में!
शायद तब ना रहूं मैं तुम्हें समझाने को
मेरे शब्दों मे छुपा दर्द
क्यूँ की, तुम्हें तो आदत है
सदा से शब्द ही पढ़ा तुमने
मसरूफियत में अपनी,
काश, समझ जो पाते
मेरे शब्दों मे छुपे सारे दर्द।

पल्लवी रानी
मौलिक सर्वाधिकार सुरक्षित
कल्याण, महाराष्ट्र

Loading...