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5 Mar 2021 · 1 min read

इंद्रवज्रा छन्द, शबरी जयंती

शबरी जयंती
इंद्रवज्रा
221 221 121 22
हैं भ्रात दोनों शबरी दुआरे।
श्रीराम जी आज कुटी पधारे।।
जो बेर जूठे शबरी खिलाये।
वो राम जी को मन खूब भाये।।

अदम्य

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