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24 Feb 2021 · 1 min read

वजूद

लफ़्ज़ों की कमी थी आज शायद
या रूह में होने वाले एहसास की
????????
नही पता मुझको कहानी तेरी शायद
बस इतना जानती हूं कि वजूद को तेरे

????????
तूझसे ज्यादा जानती हूं शायद
ख्वाबबगाह में जो बसता है वो
?????????
अलग सी खुमारी और कशिश शायद
मेरे रोम रोम में बसी है जो
??????
कैसे बताऊं तुमको क्या रूमानी एहसास है वो
कैसे यकीं दिलाऊं कितना रूमानी है वो
??????????
बिन फरेब कितना मासूम है वो
किसी ख्वाबगाह का सरताज हो शायद

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