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23 Feb 2021 · 1 min read

नजर आता है

नज़र आता है

जिसको देखो वो दूध का धुला नजर आता है
दूर से हर शख्स शरीफ नजर आता है।।

एक ही चेहरे पे अनगिनत नकाब
परखो तो असली चेहरा नजर आता है

खंजर छुपाने से कत्ल कहां छुपता है
यहां शागिर्द ही कातिल नजर आता है

वह उम्र भर रहा सफर पे शामिल
परिंदा भी अब थका हारा नज़र आता है

अब बरसातों का दौर कहां होता है
शहर का शहर बंजर नजर आता है।।

आईना तो टूट कर भी झूठ नहीं बोलता
हर शख्स क्यों झूठा नजर आता है।।

#किसानपुत्री_शोभा_यादव

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