पानी बूंद बचाइए
पानी बूंद बचाइए, रखिए इसे सॅभाल।
वरना आगे वक्त में,होगा विकट अकाल।
वृक्ष धरोहर सृष्टि की, वृद्धि करें खुद आप।
दुनिया दे आशीष तब, मिटे रोग संताप।
दोहन को रोको सखे,हो जग का कल्यान।
जगती भी निश्चिंत हो, करे पुनः वरदान।
स्वच्छ साफ वातावरण,जीवन का आधार।
साफ सफाई राखिए,कीजै शुद्ध विचार।
पर्यावरण अशुद्ध है,स्वांस-स्वांस तड़फाय ।
कीजै कुछ मन से जतन,कहै अटल कविराय।