Sahityapedia
Sign in
Home
Your Posts
QuoteWriter
Account
15 Feb 2021 · 2 min read

श्री कृष्ण

जन्म लेके मनुष्य का
जीने का धर्म सिखाया था
वो कृष्ण ही थे जिन्होंने
विराट रूप दिखाया था।।

जिसने जन्म लेके जेल में
जेल के ताले खुलवाए थे
सो गए थे संतरी भी
जब कृष्ण बाहर आए थे ।।

उनके जन्म की रात को
गंगा जी दर्शन को आई थी
करना चाहती थी चरण स्पर्श
वो बाढ़ नहीं लाई थी ।।

मां देवकी को छोड़ कर
कृष्ण गोकुल आए थे
मां मिली यशोदा जैसी
वो धन्य भाग पाए थे ।।

सब जानकर भी कृष्ण ने
दूध पूतना का पिया था
मुक्ति देकर फिर उसके
दूध का कर्ज उतारा था ।।

जो कर ना पाते बड़े योद्धा भी
बचपन में कर दिखाया था
कालिया नाग का घमंड
भी चूर चूर कर दिखाया था।।

क्या होती है दोस्ती
हमको वो बता गए
बिन मांगे ही सुदामा को
सबकुछ वो दे गए ।।

रिश्ते कैसे निभाते है
जग को वो बता गए
जब पुकारा द्रोपती ने कृष्ण
सहायता को आ गए ।।

गोपियां भी खो गई थी
दीवानी उनकी हो गई थी
वृंदावन में जब उन्होंने
बांसुरी बजाई थी
गोपियों संग रास लीला
तब उन्होंने रचाई थी ।।

प्रेम में त्याग कैसे होता है
हमको ये बताया था
प्रीत थी जो राधा संग
त्याग करके दिखाया था ।।

कृष्ण ही तो दूत बनके
हस्तिनापुर गए थे
युद्ध रोकने के कई
प्रस्ताव देके आए थे ।।

युद्ध महाभारत का हुआ
सब जानते है पुत्रमोह के लिए
श्री कृष्ण भी शामिल हुए
सिर्फ धर्म की रक्षा के लिए ।।

धर्म की जीत के
सहारा वो बने थे
सारथी थे अर्जुन के
फिर भी सब पांडवों के
संकटमोचक बने थे ।।

गीता का उपदेश देकर
दुनिया को जगाया था
वो कृष्ण ही थे जिन्होंने
अर्जुन को धर्म का रास्ता दिखाया था ।।

Loading...