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14 Feb 2021 · 1 min read

खो जाते हैं

बहते निर्झर
तालाबों के
ठहरावों में
खो जाते हैं।

भंवरों के चंचल मन
अक्सर
महताबों में
खो जाते हैं।

तुम अपने अधरों से
जब जब
मेरी पलकों को छूती हो,

नैन मुसाफिर
उम्मीदों के
बहकावों में
खो जाते हैं।।

संजय नारायण

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