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13 Feb 2021 · 1 min read

जानवर और मनुष्य पेज ०२

आपने बहुत कुछ लिखा और बहुत पढ़ा।पर। क्या लिखा और जो लिखा वह बहुत सुंदर लिखा।पर यह सब बुद्धि मान और नेक इंसान के काम आता है। कोई ग्रंथ या शास्त्र के कहने से क्या कोई इन्सान बन पाया है। इन्सान को इन्सान नहीं रहने दिया है।वह अब रास्ता भटक गया है।उसे वापिस इनसान बनाना बहुत मुश्किल है। क्यों कि हमारी जिज्ञासा अब भौतिक सुख सुविधाओं में उलझ गई है। सारी व्यवस्था अब पटरी पर आ ग ई।है।जब ऐसी स्थिति बन जाये ।तो हमें तुरंत ही निर्णय ले लेना चाहिए।जब इन्सान इन्सान का शोषण करने लगे।तब उसका कोई धर्म नहीं बचता है।वह केवल अपने मन की मर्जी का मालिक बन जाता है। तब ज्ञान का कोई मतलब नहीं रहता हैं।तब वह जानवर की तरह जीने पर उतारू हो जाता है। फिर जब परिस्थितियां फिर करवट लेती है।तब फिर दुबारा ज्ञान की खोज में निकल पड़ता है।कि अब क्या करना चाहिए।हम फिर जानवरो के पास पहुंचते हैं।कि अब जानवर ही हमारी मदद करेगा।

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