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12 Feb 2021 · 1 min read

दोष किसका?

घंटियां, घननघन, घनघनाती रही,
वो बचाने को अस्मत कसमसाती रही,
पुकार उसकी को लेकिन अनसुना कर दिया,
रव ने भी, राक्षस ने भी !!!

– सुनील सुमन

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