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11 Feb 2021 · 1 min read

काश, कि तुम मुझे मिल जाते...

चंचल चितवन, सुन्दर मुखड़ा,
ये होठ रसीले, नयन नशीले,
देख हुआ दिल टुकड़ा टुकड़ा,
मैं तुम्हें देख आहें भरता,
पर काश, कि तुम मुझे मिल जाते,
पर काश, कि तुम मुझे मिल जाते…

ऊंची नीची, उथली गहरी,
सभी कष्टमयी चट्टानों को,
जो मुझको तुमसे दूर करें,
उन बेदर्दी दीवारों को,
कर पार, तेरे पास आ जाता,
पर काश, कि तुम मुझे मिल जाते…

मैं सारे जहाँ की खुशियों से,
तेरे दामन को भर देता,
नीले अम्बर के तारों से,
तेरी चुनरी को टंक देता,
मैं तेरे लिए सब कुछ करता,
पर काश, कि तुम मुझे मिल जाते…

आशियां बनाते हम ऐसा,
जहाँ गम तो नहीं, पर प्यार होता,
फूलों की सुगंध से धरती का,
कोना कोना महका होता,
मैं तेरे लिए, जीता मरता,
पर काश, कि तुम मुझे मिल जाते…

– सुनील सुमन

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